Saturday, December 20, 2014

Devoted To --------

!! व्यंग्य !!
हाल ही मे RBI गर्वनर डा. रघुराम राजन ने बैंक
कर्मचारियो के वेतन के संबंध मे बयान दिया था
जिसमें उन्होंने कहा था कि एक रेलवे बुकिंग क्लर्क
जो केवल यात्रियों का नाम और अन्य सामान्य
जानकारी टाइप करता है उसका वेतन 54000
के लगभग है, एक बैंक अधिकारी जो करोड़ों रु. के
लोन प्रपोजल स्वीकृत करता है उसका वेतन केवल 28000 रु.है?
हमने सरकार से पूछा इस बयान पर आपको क्या कहना है, उनका कहना था कि हम
रघुराज राजन की बात माने कि अपने राम लला
कि बात माने, मैंने कहा बैंक के वेतन समझौते मे
राम लला कहाँ से बीच मे आ गये तब उन्होंने कहा
यही तो समस्या कि आपको जानकारी पूरी रहती
नहीं है और सरकार पर आरोप लगाते हो, आपने
यह सुना नहीं है--
रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आयेगा
हँस चुनेगा दाना तिनका ,कौआ मोती खायेगा
"
:::::"
अब हम समझ गये सरकार अपनी जगह
सही है

बार ओबामा ने मोदी से कहा :-आइये "एक खेल खेलते
है, "मैं आपसे एक सवाल पूछूंगा अगर आपको उसका जवाब
नहीं आया, तो आप मुझे 5 डॉलर देना। फिर आप मुझसे
एक सवाल करना और अगर मुझे जवाब नहीं आया, तो मैं
आपको 500 डॉलर दूंगा।" मोदी : ठीक है। ओबामा ने...

मोदी से पूछा : धरती से चंद्रमा की दूरी कितनी है ?
मोदी ने बिना कुछ सोचे अपनी जेब से 5 डॉलर
निकाले और ओबामा को दे दिए। अब
मोदी की बारी आई। मोदी ने पूछा : ऐसा कौन
सा जीव है, जो तीन पैरों पर पहाड़ी चढ़ता है, पर चार
पैरों से वापस उतरता है ?? ओबामा ने इंटरनेट पर
खोजना शुरू कर दिया। उसने अपने
सभी दोस्तों को भी कॉल कर पूछा, पर
किसी को जवाब नहीं पता था। एक घंटे बाद
ओबामा ने मोदी को 500 डॉलर दे दिए। हैरान-
परेशान ओबामा ने अब मोदी से पूछा : अब
बता तो दो... कौन है वह जीव ? . . . . मोदी ने जेब से
5
डॉलर निकाले और ओबामा को दे दिए।
ओबामा बेहोश, मोदी मदहोश॥
मोदी से पंगे नी....बाप बाप ही होता है।


By Ravi Kumar Narayanan

Am I giving fair value for the wages or money I hope to make?.
There was a farmer who sold a pound of butter to the baker. One day the baker decided to weigh the butter to see if he was getting a pound and he found that he was not. This angered him and he took the farmer to court.


The judge asked the farmer if he was using any measure. The farmer replied, amour Honor, I am primitive. I don't have a proper measure, but I do have a scale." The judge asked, "Then how do you weig...h the butter?" The farmer replied "Your Honor, long before the baker started buying butter from me, I have been buying a pound loaf of bread from him. Every day when the baker brings the bread, I put it on the scale and give him the same weight in butter. If anyone is to be blamed, it is the baker.




 What is the moral of the story? We get back in life what we give to others. Whenever you take an action, ask yourself this question: Am I giving fair value for the wages or money I hope to make? Honesty and dishonesty become a habit. Some people practice dishonesty and can lie with a straight face. Others lie so much that they don't even know what the truth is anymore. But who are they deceiving? Themselves.


By Anil Mangoi on Facebook


सुबह उठ कर पत्नी को पुकारते है सुनो चाय लाओ
थोड़ी देर बाद फिर आवाज़, सुनो नाश्ता बनाओ
क्या बात है ,आज अभी तक अखबार नहीं आया
जरा देखो तो ,किसी ने दरवाजा खटखटाया
अरे आज बाथरूम में ,साबुन नहीं है क्या ...

और देखो तो,कितना गीला पड़ा है तौलिया
अरे ,ये शर्ट का बटन टूटा है, जरा लगा दो
और मेरे मौजे कहाँ है,जरा ढूंढ के ला दो
लंच के डब्बे में बनाये है ना, आलू के परांठे
दो ज्यादा रख देना, मिस जूली को है भाते
देखो अलमारी पर कितनी धूल जमी पड़ी है
लगता है कई दिनों से डस्टिंग नही की है
गमले में पौधे सूख रहे है, क्या पानी नहीं डालती हो
दिन भर करती ही क्या हो बस गप्पे मारती हो
शाम को डोसा खाने का मूड है, बना देना
बच्चों की परीक्षाये आ रही है पढ़ा देना
सुबह से शाम तक कर फरमाईशें नचाते है
चैन से सोने भी नहीं देते, सताते है
दिनभर में बीबीयाँ कितना काम करती है
ये तब मालूम पड़ता है जब वो बीमार पड़ती है
एक दिन में घर अस्त व्यस्त हो जाता है
रोज का सारा रूटीन ही ध्वस्त हो जाता है
आटे दाल का सब भाव पता पड़ जाता
बीबी की अहमियत क्या है , ये पता चल जाता है...
पत्नियों को सलाम...
Dedicated to all wonderful women-
दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने मे गुजर गई,
रात नींद को मनाने मे गुजर गई।
जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं,
सारी उमर उस घर को सजाने मे गुजर गई।



दूध पिलाते थे नागों को
भारत पर चढ़ जाने को
आतंकी पैदा करते थे
दहशत को फ़ैलाने को
पाकिस्तान तेरी करनी का...

फल बच्चों ने भोगा है
दोहरे चेहरे वाले जालिम
उतरा तेरा चोगा है
इसी बेल को पाल पास कर
तूने कितना बड़ा किया
हर आतंकी को अपनाया
अपना अड्डा खड़ा किया
आज तुझे ही डस डाला
तेरे ही पाले साँपों ने
पैरों तले कुचल डाला
तेरे आतंकी बापों ने
देख जरा उस पीड़ा को
जो हर ह्रदय में उठती है
सूंघ जरा उस बदबू को
जो मरे शवों से उठती है
यूँ ही लोग मरे थे जब
तुमने मुम्बई दहलाया था
गोली की आवाजों से जब
अक्षरधाम गुंजाया था
संसद पर हमला हो या
कई बारों के बम के विस्फोट
अफज़ल गुरु कसाब भेजकर
कितनी गहरी दी है चोट
फिर भी तेरे दुःख में जालिम
तेरे साथ खड़े हैं हम
आतंकवाद से लड़ जाने को
खुलकर आज अड़े हैं हम
बात समझ आ पाई हो तो
अब ये दहशत बंद करो
भाड़े के आतंकी रोको
अब ये वहशत बंद करो
वरना एक दिन तुम डूबोगे
सारे मारे जाओगे
अपनी करनी के कारण तुम
जीवन भर पछताओगे...
(कवि का नाम नामालूम..)



By Sri Vijay goyal

पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया, जब दूध ने
पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा, मित्र तुमने अपने स्वरुप
का त्याग कर मेरे स्वरुप को धारण किया है
अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा,
दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है ...

तब पानी कहता है अब मेरी बारी है
मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा और दूध से पहले पानी उड़ता जाता है जब दूध मित्र
को अलग होते देखता है तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने
लगता है, जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से
मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है पर इस अगाध प्रेम में थोड़ी सी खटास ( निम्बू की दो चार बूँद ) डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं । थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को अलग कर भी मिटा सकती है ।
" रिश्ते बड़े है गुस्सा व नाराजगी नही''



एक पैसेंजर ट्रेन बाड़मेर से जोधपुर की तरफ
रवाना होनी थी. रात पोने ग्याहर बजे
सभी डिब्बे खचाखच भर गए. दो मनचले छोकरे सबसे
लास्ट डिब्बे में चढ़ तो गए, पर जब उन्हें बैठने तक
की जगह...

नहीं मिली तो उन्हें एक शरारत
सूझी. उन्होंने "सांप, सांप, सांप," चिल्लाना शुरू कर
दिया. यात्री लोग डर के मारे सामान सहित उतर कर
दूसरे डिब्बों में चले गए. वे दोनों ठाठ से ऊपर
वाली सीट पर बिस्तर लगा कर लेट गए,
दिन भर के थके थे
सो जल्दी ही नीद
भी आ गई.
सवेरा हुआ, "चाय, चाय" की आवाज पर वे उठे चाय
ली और चाय वाले से पूछा कि कौन सा स्टेशन
आया है? तो चाय वाले ने बताया, "बाड़मेर है."
फिर पूछा, “बाड़मेर से तो रात को चले थे?”
चाय वाला बोला, “इस डिब्बे में सांप निकल आया था इसलिए इसे
यहीं बाड़मेर मे काट दिया था.”



एक नवविवाहित लड़की का अपनी माँ के लिये एक प्यारा सा खत-
प्रिय माँ, हर लड़की की तरह मैं भी बचपन से ही अपने विवाह को लेकर बड़ी ही उत्साहित रहती थी। अपने सपनों के राजकुमार के साथ खुशहाल ज़िंदगी बिताने के अलावा मैं कुछ सोच भी नहीं पाती थी। लेकिन, आज जब मेरी शादी हो गयी है, मुझे महसूस होता है कि शादी का मतलब केवल फूलों सी सुंदरता नहीं, अपने जीवन साथी के साथ बिताए सुन्दर पल ही नहीं! शादी के और भी मायने हैं। इसमें अनेक जिम्मेदारियाँ, दायित्व, त्याग, बलिदान और समझौते भी करने होते हैं। ऐस..


नहीं कि मैं जब चाहूँ, तब सोकर जागूँ।

 मुझसे उम्मीद रहती है कि मैं परिवार के दूसरे सदस्यों से पहले उठकर तैयार हो जाऊँ। मैं सारा दिन पैजामे पहनकर यहाँ-वहाँ नहीं अलसा सकती। मुझे हर समय तैयार रहना होता है। मैं जब चाहूँ तब बाहर नहीं जा सकती। मुझे परिवार की ज़रूरतों की ओर संवेदनशील रहना चाहिए। मैं जब चाहूँ बिस्तर पर पड़ी नहीं रह सकती। मुझे हर समय सजग और परिवार के साथ रहना होता है। मैं उम्मीद नहीं कर सकती कि मेरे साथ किसी राजकुमारी की तरह का व्यवहार हो, बल्कि मुझे खुद परिवार के दूसरे सदस्यों का ध्यान रखना होता है। और फिर मैं खुद से पूछती हूँ, “आखिर मैंने शादी ही क्यों की?” आपके साथ मैं खुश थी, माँ! कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि आपके पास वापस आ जाऊँ और फिर वही लाड़ और दुलार पाऊँ।

 मैं फिर से उन्हीं दिनों में वापस आना चाहती हूँ जब दोस्तों के साथ घूमकर लौटने पर आपके हाथ के स्वादिष्ट पकवान के मज़े उठाने को मिलते थे। मैं आपकी गोद में सिर रखकर जहाँ की सारी चिंताओं को भूल जाना चाहती हूँ। लेकिन फिर अचानक मुझे महसूस हुआ, अगर आपने भी शादी न की होती, अगर आपने ज़िंदगी के साथ ये सारे समझौते न किये होते, तो मेरी ज़िंदगी में ये खूबसूरत यादें भी तो न होतीं।

और अचानक ही, इन सबका उद्देश्य स्पष्ट हो जाता है- जो आराम, शांति और खुशियाँ मुझे आपसे मिलीं, वही सब अपने नए परिवार को लौटाना है। और मुझे विश्वास है कि समय के साथ मैं भी इस जीवन को वैसे ही प्यार करने लगूंगी, जैसे आप करती हैं। आपने जो भी बलिदान दिए, समझौते किये, उन सबके लिये आपको दिल से धन्यवाद, माँ! उनसे मुझे भी ऐसा ही करने की शक्ति मिलती है। बहुत-बहुत प्यार!

--सभी बेटियों के लिए एक खूबसूरत लेख। सभी महिलाओं के सम्मान में... अपने आसपास सभी महिलाओं और लड़कियों सा सम्मान करें, क्योंकि वे ही हमारी दुनिया को खूबसूरत बनाती हैं। और हाँ, शेयर करना न भूलें...

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