Sunday, July 5, 2015

Some Stories To Open Your Eyes

मूर्ती पूजा का रहस्य जरूर पढ़े :-

कोई कहे की की हिन्दू मूर्ती पूजा क्यों
करते हैं तो उन्हें बता दें
मूर्ती पूजा का रहस्य :-

स्वामी विवेकानंद को एक राजा ने ...

अपने भवन में बुलाया और बोला,

“तुम हिन्दू लोग मूर्ती की पूजा करते हो!
मिट्टी, पीतल, पत्थर की मूर्ती का.!

पर मैं ये सब नही मानता।
ये तो केवल एक पदार्थ है।”

उस राजा के सिंहासन के पीछे
किसी आदमी की तस्वीर लगी थी।

विवेकानंद जी कि नजर उस
तस्वीर पर पड़ी।

विवेकानंद जी ने राजा से पूछा,
“राजा जी, ये तस्वीर किसकी है?”

राजा बोला, “मेरे पिताजी की।”

स्वामी जी बोले, “उस तस्वीर को अपने
हाथ में लीजिये।”

राज तस्वीर को हाथ मे ले लेता है।

स्वामी जी राजा से : “अब आप उस
तस्वीर पर थूकिए!”

राजा : “ये आप क्या बोल रहे हैं
स्वामी जी.?

“स्वामी जी : “मैंने कहा उस
तस्वीर पर थूकिए..!”

राजा (क्रोध से) : “स्वामी जी, आप होश मे
तो हैं ना? मैं ये काम नही कर सकता।”

स्वामी जी बोले, “क्यों?

ये तस्वीर तो केवल
एक कागज का टुकड़ा है,
और जिस पर कूछ रंग लगा है।

इसमे ना तो जान है,

ना आवाज,

ना तो ये सुन सकता है,

और ना ही कूछ बोल सकता है।”

और स्वामी जी बोलते गए,

“इसमें ना ही हड्डी है और ना प्राण।

फिर भी आप इस पर कभी थूक
नही सकते।

क्योंकि आप इसमे अपने
पिता का स्वरूप देखते हो।

और आप इस तस्वीर का अनादर
करना अपने पिता का अनादर करना
ही समझते हो।”

थोड़े मौन के बाद स्वामी जी आगे कहाँ,
“वैसे ही, हम हिंदू भी उन पत्थर, मिट्टी,
या धातु की पूजा भगवान का स्वरूप मान
कर करते हैं।

भगवान तो कण-कण मे है, पर
एक आधार मानने के लिए और
मन को एकाग्र करने के
लिए हम मूर्ती पूजा करते हैं।”

स्वामी जी की बात सुनकर राजा ने
स्वामी जी के चरणों में गिर कर
क्षमा माँगी।
 

󾮜एक लडकी ने एक लडके का प्यार कबुल नही किया तो लडके ने
लडकी के मुँह पर तेजाब फेक दिया तो लडकी ने लडके से चंद
पंक्तीयाँ कही आप एक बार इन पंक्तीयो को जरुर पढना󾮞

󾮜चलो, फेंक दिया
सो फेंक दिया....@...

अब कसूर भी बता दो मेरा
तुम्हारा इजहार था
मेरा इन्कार था
बस इतनी सी बात पर
फूंक दिया तुमने
चेहरा मेरा....@
गलती शायद मेरी थी
प्यार तुम्हारा देख न सकी
इतना पाक प्यार था
कि उसको मैं समझ ना सकी....@
अब अपनी गलती मानती हूँ
क्या अब तुम ... अपनाओगे मुझको?
क्या अब अपना ... बनाओगे मुझको?@
क्या अब ... सहलाओगे मेरे चहरे को?
जिन पर अब फफोले हैं...@
मेरी आंखों में आंखें डालकर देखोगे?
जो अब अन्दर धस चुकी हैं
जिनकी पलकें सारी जल चुकी हैं
चलाओगे अपनी उंगलियाँ मेरे गालों पर?
जिन पर पड़े छालों से अब पानी निकलता है
हाँ, शायद तुम कर लोगे....@
तुम्हारा प्यार तो सच्चा है ना?
अच्छा! एक बात तो बताओ
ये ख्याल 'तेजाब' का कहाँ से आया?
क्या किसी ने तुम्हें बताया?
या जेहन में तुम्हारे खुद ही आया?
अब कैसा महसूस करते हो तुम मुझे जलाकर?
गौरान्वित..???@
या पहले से ज्यादा
और भी मर्दाना...???@

तुम्हें पता है
सिर्फ मेरा चेहरा जला है
जिस्म अभी पूरा बाकी है
एक सलाह दूँ!...@

एक तेजाब का तालाब बनवाओ
फिर इसमें मुझसे छलाँग लगवाओ
जब पूरी जल जाऊँगी मैं
फिर शायद तुम्हारा प्यार मुझमें
और गहरा और सच्चा होगा....@

एक दुआ है....@
अगले जन्म में
मैं तुम्हारी बेटी बनूँ
और मुझे तुम जैसा
आशिक फिर मिले
शायद तुम फिर समझ पाओगे
तुम्हारी इस हरकत से
मुझे और मेरे परिवार को
कितना दर्द सहना पड़ा है।...@
तुमने मेरा पूरा जीवन
बर्बाद कर दिया है


|| तजुर्बे ने ये 10 बातें सिखाई है - आप भी
ज़रूर पढ़ें ||
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(1) आजकल लोग समझते 'कम' और
समझाते 'ज्यादा' हैं,
तभी तो मामले सुलझते 'कम' उलझते 'ज्यादा'...

हैं!
.
(2) ज़ुबान की हिफाज़त,
दौलत से ज्यादा मुश्किल है !
.
(3) गरीबों का मज़ाक मत उड़ाओ, क्युँकि
गरीब होने में वक्त नहीं लगता!
.
(4) अगर इबादत नहीं कर सकते, तो गुनाह भी
मत करो !
.
(5) दुनिया ये नहीं देखती कि तुम पहले क्या
थे, बल्कि ये देखती है कि तुम अब क्या हो !
.
6) जहां अपनी बात की कदर ना हो, वहां चुप
रहना ही बेहतर है !
.
(7) धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों
से भरी हो ,
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से
भरी हो !
.
(8) लोगों से मिलते वक्त इतना मत झुको, कि
उठते वक्त सहारा लेना पड़े!
.
(9) शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता!
.
(10) न सफारी में नज़र आई और न ही फरारी
में नज़र आई;
जो खुशिया बचपन मै दोस्तों के साथ
साईकिल
की सवारी में नज़र आई !!


जो चाहोगे सो पाओगे !

एक साधु था , वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था ,”जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे।”

बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे।

एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसनेँ उस साधु की आवाज सुनी , “जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे।” ,और आवाज सुनते ही उसके पास चला गया।...


उसने साधु से पूछा -“महाराज आप बोल रहे थे कि ‘जो चाहोगे सो पाओगे’ तो क्या आप मुझको वो दे सकते हो जो मैँ जो चाहता हूँ?”

साधु उसकी बात को सुनकर बोला – “हाँ बेटा तुम जो कुछ भी चाहता है मैँ उसे जरुर दुँगा, बस तुम्हे मेरी बात माननी होगी। लेकिन पहले ये तो बताओ कि तुम्हे आखिर चाहिये क्या?”

युवक बोला-” मेरी एक ही ख्वाहिश है मैँ हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनना चाहता हूँ। “

साधू बोला ,” कोई बात नहीँ मैँ तुम्हे एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने भी हीरे मोती बनाना चाहोगे बना पाओगे !”

और ऐसा कहते हुए साधु ने अपना हाथ आदमी की हथेली पर रखते हुए कहा , ” पुत्र , मैं तुम्हे दुनिया का सबसे अनमोल हीरा दे रहा हूं, लोग इसे ‘समय’ कहते हैं, इसे तेजी से अपनी मुट्ठी में पकड़ लो और इसे कभी मत गंवाना, तुम इससे जितने चाहो उतने हीरे बना सकते हो “

युवक अभी कुछ सोच ही रहा था कि साधु उसका दूसरी हथेली , पकड़ते हुए बोला , ” पुत्र , इसे पकड़ो , यह दुनिया का सबसे कीमती मोती है , लोग इसे “धैर्य ” कहते हैं , जब कभी समय देने के बावजूद परिणाम ना मिलेंटो इस कीमती मोती को धारण कर लेना , याद रखन जिसके पास यह मोती है, वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है। “

युवक गम्भीरता से साधु की बातों पर विचार करता है और निश्चय करता है कि आज से वह कभी अपना समय बर्वाद नहीं करेगा और हमेशा धैर्य से काम लेगा । और ऐसा सोचकर वह हीरों के एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ काम शुरू करता है और अपने मेहनत और ईमानदारी के बल पर एक दिन खुद भी हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनता है।


Friends, ‘समय’ और ‘धैर्य’ वह दो हीरे-मोती हैं जिनके बल पर हम बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। अतः ज़रूरी है कि हम अपने कीमती समय को बर्वाद ना करें और अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए धैर्य से काम लें।

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